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अच्छा होता....




कितना अच्छा होता ,अगर तुमसे दिल लगाया ही ना होता |
एक अंजान इंसान को जान बनाया ही ना होता, 
तुमसे किया वादा निभाया ही ना होता ||

तुम्हारी वजह से अंदर से जो टूटा है मेरा दिल,
कितना अच्छा होता ,जो तुमको दिल में बसाया ही ना होता |
आज मेरे हर दर्द का कारण नही बनते तुम,
अगर मैंने तुमको हमदर्द बनाया ही ना होता ||

कितना अच्छा होता ना ,अगर तुमसे दिल लगाया ही ना होता !!

 आज डर लगता है किसी को कुछ भी बताने में, नही लगता ये डर |
अगर मैंने अपने दिल का हर राज़ तुम्हें बताया ही ना होता ,
अपनी हर कहानी को तुम्हारे सामने दोहराया ही ना होता ||

कितना अच्छा होता ना, अगर तुमसे दिल लगाया ही ना होता !!

नही लगता ये दिल तुमसे, और इतनी बड़ी भी नही होती हमारी कहानी |
अगर तुमने सामने से दोस्ती का हाथ बड़ाया ही ना होता ||
और सोचो तो ज़रा, तब क्या होता |
अगर जवाब में मैंने तुमसे हाथ मिलाया ही ना होता ||

कितना अच्छा होता ना, अगर उस दिन मैंने हाथ मिलाया ही ना होता !!

कोई फर्क ही नही पड़ता आज तुम्हारे दूर जाने का,
अगर उस दिन  बाहों में अपनी, तुमने मुझे सुलाया ही ना होता |
कितना अच्छा होता ना, अगर तुम्हारे कांधे पे सिर रख के मैंने आँसू बहाया ही ना होता ||

कितना अच्छा होता ना, अगर तुमसे दिल लगाया ही ना होता !!

आज यूँ नही रोती, ना मैं ना मेरा दिल 
अगर तुमने मेरा दिल दुखाया ही ना होता ||
कमजोर और मजबूर समझने लगे थे ना मुझे तुम,
कितना अच्छा होता, अगर मैंने तुम्हें अपनी कमजोरी  बनाया ही ना होता |

कितना अच्छा होता ना, अगर तुमसे दिल लगाया ही ना होता !!

बेहद खूबसूरत और अच्छी होती ज़िंदगी मेरी ,
अगर इस ज़िंदगी में तू आया ही ना होता |
कितना खुश रहती मैं,
 अगर अपनी हर मुस्कुराहट का कारण मैंने तुम्हें बनाया ही ना होता ||

काश तुमने दोस्ती का हाथ बड़ाया ही ना होता,
और फिर मैंने तुम्हें दिल में समाया ही ना होता |
काश अपने जैसे एक साधारण से इंसान को मैंने खुदा बनाया ही ना होता ||

कितना अच्छा होता ना, अगर तुमसे दिल लगाया ही ना होता 
एक अंजान को मैंने अपनी जान बनाया ही ना  होता !!

   

@कनिका_जोशी
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तुम नही आये !!






 


मै इंतज़ार करते रह गयी, पर तुम आये ही नही |
जो सपने मैंने देखे थे हमारे लिए, वो तुमने कभी सजाये ही नही ||
                                                     तुम आये ही नही ....... 

कोई बोलता है जन्नत है मोहब्बत, तो कोई जंग बताता है |
मैंने बोला अगर दोनों तरफ से सच्ची हो तो इंसान ही खुदा बन जाता है ,
सच्चा तो था मेरा इश्क़, पर तुम आज़माने आये ही नही ||
                                                     तुम आये ही नही .......

तुम्हें मालूम नही था!! या आना नही चाहते थे |
अब ये ना कहना, हाल ए दिल के किस्से मैंने तुम्हें बताए ही नही,
सब जानते थे तुम, और सब जानकर भी तुम आये ही नही ||
                                                     तुम  आये ही नही ........ 

माना, बे इन्तहा मोहब्बत करती थी मै |
पर ये ना कहना साथ रहने के अरमान तुमने सजाये ही नही ,
ना आने का फैसला था तुम्हारा, पर ये ना कहना की इस फैसले से तुम्हारी आंखो मे आँसू आये ही नही 
इतना चाहते थे एक दूसरे को हम, पर ना जाने क्यूँ तुम आये  ही नही ||
                                                    तुम आये ही नही .......

जो भी था तुम्हारे दिल मे एक बार साफ साफ बोल जाते ना , मुझे कोई  आस तो नही रहती |
अब क्या समझती मै तुम्हारे नजरों क इशारे ,अब ये ना कहना की पीछे  देख देख के तुमने नैनो से नैन मिलाये ही नही ,
बस आगे नही बढ़ाना चाहते होगे इस मजहबी इश्क़ को तुम,
अब ये ना कहना, तुमने मुझे हमारे मजहब के उसूल समझाये ही नही||
                                                       तुम आये ही नही ........
समझ कर भी ना समझ सकी मै उसूल तुम्हारे तभी तो इंतज़ार करते रह गयी |
और तुम आना तो चाहते थे पर आये ही नही, तुम आये ही नही ||
                                                        तुम आये ही नही .......

@कनिका_जोशी
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बचपन का ज़माना ....


 


लौटा दो मुझको, वो बचपन का ज़माना |
वो हँसी की दौलत, वो खुशियों का खज़ाना ||

ऊब सी गयी हूँ तुझसे ऐ ज़िंदगी,
वापस चाहती हूँ अपने बचपन में जाना ||

ना कोई फिक्र थी शाम की, ना दिन का कोई ठिकाना |
कभी इस गली में तो कभी उस सहेली के घर मे, दिन रात बस मस्ती मे नाचना गाना ||

सारे मोहल्ले मे घूमते रहना ,और सब जगह धूम मचाना |
वापस जाना चाहती हूँ वही, जहाँ मेरे साथ रहता था एक परियों  का फसाना ||

लौटा दो मुझको, वो बचपन का ज़माना |
वो हँसी की दौलत, वो खुशियों का खज़ाना ||

रात को सोते हुये, माँ को पूरे दिन का हाल बताना
और मेरी पटर-पटर सुन कर भी ,उनका प्यार से मुसकाना
मेरी हर गलती पे पहले गुस्से से डाँठकर फिर उनका मुझे प्यार से समझाना

आज भी याद है मेरे पापा का मुझे वो प्यार से मनाना ,और फिर मेरा नकली के नखरे दिखाना |
और पापा का मुझे गोद मे बैठाकर पूरा मोहल्ला घुमाना ||

लौटा दो मुझको ,वो बचपन का ज़माना |
पापा का प्यार ,माँ की गोद का सिरहाना ||

घूमना फिरना वो  गर्मियों की छुट्टियो मे नानी क घर जाना |
वापस आते हुए खूब सारे खिलौने लाना ||  

उन खिलौने से खेलना ,और दोस्तो को साथ बैठाकर बोलना |
तुम बस बैठकर देखो ,मेरे खिलोनों को हाथ मत लगाना ||


आज भी अच्छे से याद है वो गुड़िया को सजना |
उसे दुल्हन बनाकर उसकी शादी रचाना ||

कही मिले तो लौटाना मुझको वो बचपन का ज़माना |
वो हँसी की दौलत ,वो खुशियों का खज़ाना ||

वो कागज़ के प्लेन उड़ाना,पेन के ढक्कन से सिटी बजाना |
बबलगम चबाकर ,उसे फूलाना और बड़े शौक से सबको दिखाना ||

मेलो में घूमना, वो चाट पकोड़ी खाना |
वो मम्मी से छुप छुपकर किच्चन से बिसकुट चट कर जाना ||

अब बहुत बोर हो गयी हु तुझसे ए ज़िंदगी |
अब ना कुछ पाने की चाहत है और ना ही किसी बात से  घबराना ||

कुछ नहीं  माँगती हूँ तुझसे ए ज़िंदगी ,ना कोई महँगे तोहफे और ना ही कोई आशिक दीवाना |
बस एक बार लौटा दे मुझको वो हँसी की दौलत ,वो खुसियों का खज़ाना ||
 लौटा दो मुझको मेरे बचपन का ज़माना !!




@कनिका_जोशी


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