मै इंतज़ार करते रह गयी, पर तुम आये ही नही |
जो सपने मैंने देखे थे हमारे लिए, वो तुमने कभी सजाये ही नही ||
तुम आये ही नही .......
कोई बोलता है जन्नत है मोहब्बत, तो कोई जंग बताता है |
मैंने बोला अगर दोनों तरफ से सच्ची हो तो इंसान ही खुदा बन जाता है ,
सच्चा तो था मेरा इश्क़, पर तुम आज़माने आये ही नही ||
तुम आये ही नही .......
तुम्हें मालूम नही था!! या आना नही चाहते थे |
अब ये ना कहना, हाल ए दिल के किस्से मैंने तुम्हें बताए ही नही,
सब जानते थे तुम, और सब जानकर भी तुम आये ही नही ||
तुम आये ही नही ........
माना, बे इन्तहा मोहब्बत करती थी मै |
पर ये ना कहना साथ रहने के अरमान तुमने सजाये ही नही ,
ना आने का फैसला था तुम्हारा, पर ये ना कहना की इस फैसले से तुम्हारी आंखो मे आँसू आये ही नही
इतना चाहते थे एक दूसरे को हम, पर ना जाने क्यूँ तुम आये ही नही ||
तुम आये ही नही .......
जो भी था तुम्हारे दिल मे एक बार साफ साफ बोल जाते ना , मुझे कोई आस तो नही रहती |
अब क्या समझती मै तुम्हारे नजरों क इशारे ,अब ये ना कहना की पीछे देख देख के तुमने नैनो से नैन मिलाये ही नही ,
बस आगे नही बढ़ाना चाहते होगे इस मजहबी इश्क़ को तुम,
अब ये ना कहना, तुमने मुझे हमारे मजहब के उसूल समझाये ही नही||
तुम आये ही नही ........
समझ कर भी ना समझ सकी मै उसूल तुम्हारे तभी तो इंतज़ार करते रह गयी |
और तुम आना तो चाहते थे पर आये ही नही, तुम आये ही नही ||
तुम आये ही नही .......
@कनिका_जोशी
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