लौटा दो मुझको, वो बचपन का ज़माना |
वो हँसी की दौलत, वो खुशियों का खज़ाना ||
ऊब सी गयी हूँ तुझसे ऐ ज़िंदगी,
वापस चाहती हूँ अपने बचपन में जाना ||
ना कोई फिक्र थी शाम की, ना दिन का कोई ठिकाना |
कभी इस गली में तो कभी उस सहेली के घर मे, दिन रात बस मस्ती मे नाचना गाना ||
सारे मोहल्ले मे घूमते रहना ,और सब जगह धूम मचाना |
वापस जाना चाहती हूँ वही, जहाँ मेरे साथ रहता था एक परियों का फसाना ||
लौटा दो मुझको, वो बचपन का ज़माना |
वो हँसी की दौलत, वो खुशियों का खज़ाना ||
रात को सोते हुये, माँ को पूरे दिन का हाल बताना
और मेरी पटर-पटर सुन कर भी ,उनका प्यार से मुसकाना
मेरी हर गलती पे पहले गुस्से से डाँठकर फिर उनका मुझे प्यार से समझाना
आज भी याद है मेरे पापा का मुझे वो प्यार से मनाना ,और फिर मेरा नकली के नखरे दिखाना |
और पापा का मुझे गोद मे बैठाकर पूरा मोहल्ला घुमाना ||
लौटा दो मुझको ,वो बचपन का ज़माना |
पापा का प्यार ,माँ की गोद का सिरहाना ||
घूमना फिरना वो गर्मियों की छुट्टियो मे नानी क घर जाना |
वापस आते हुए खूब सारे खिलौने लाना ||
उन खिलौने से खेलना ,और दोस्तो को साथ बैठाकर बोलना |
तुम बस बैठकर देखो ,मेरे खिलोनों को हाथ मत लगाना ||
आज भी अच्छे से याद है वो गुड़िया को सजना |
उसे दुल्हन बनाकर उसकी शादी रचाना ||
कही मिले तो लौटाना मुझको वो बचपन का ज़माना |
वो हँसी की दौलत ,वो खुशियों का खज़ाना ||
वो कागज़ के प्लेन उड़ाना,पेन के ढक्कन से सिटी बजाना |
बबलगम चबाकर ,उसे फूलाना और बड़े शौक से सबको दिखाना ||
मेलो में घूमना, वो चाट पकोड़ी खाना |
वो मम्मी से छुप छुपकर किच्चन से बिसकुट चट कर जाना ||
अब बहुत बोर हो गयी हु तुझसे ए ज़िंदगी |
अब ना कुछ पाने की चाहत है और ना ही किसी बात से घबराना ||
कुछ नहीं माँगती हूँ तुझसे ए ज़िंदगी ,ना कोई महँगे तोहफे और ना ही कोई आशिक दीवाना |
बस एक बार लौटा दे मुझको वो हँसी की दौलत ,वो खुसियों का खज़ाना ||
लौटा दो मुझको मेरे बचपन का ज़माना !!
@कनिका_जोशी
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