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समझ नहीं आता शुक्रगुजार बनु तो किसकी?


समझ नहीं आता शुक्रगुजार बनु तो किसकी?
तुम्हारी या उस रब की ?
हकदार तो दोनों बराबर हो,
उसने मुझे तुमसे मिलाया और तुमने मुझे मुझसे|
वो मेरी ज़िंदगी में तुमको लाया और तुमने इस बेरंग सी ज़िंदगी को इतनी खूबसूरती से सजाया||

समझ नहीं आता दीदार करूँ तो किसका?
तुम्हारा या जो आसमान में चमके उसका?
 हकदार तो दोनों बराबर हो,
वो दुनिया से अंधेरा,
और तुमने मेरी ज़िंदगी से अंधेरा हटाया हैं 
वो जहां को रोशन करता है और तुमने मुझे रोशनी बनाया है|| 

क्या बोलूँ उस रब को!
उससे ना तो बात होती हैं और न ही मुलाकात होती हैं|
तुमको रोज़ मिलती हूँ तुम्हारी यादों से ही मेरी रात होती हैं,
तो इसी तरह मुझे अपना बनाए रखना 
तुम भी मेरी तरह ये दिल लगाए रखना 

©कनिका_जोशी

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